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patharchatta ke faydey

पथरी से गठिया तक, कई बीमारियों का समाधान: जानें पत्थरचट्टा के फायदे और सेवन का तरीका

Patharchatta Ke Fayde
Benefits of Pattharchatta Plant

 

पत्थरचट्टा का परिचय:

आयुर्वेद में कई पौधों को औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, और पत्थरचट्टा (Patharchatta) इन्हीं में से एक है। इसे एयर प्लांट, कैथेड्रल बेल्स, लाइफ प्लांट, और मैजिक लीफ जैसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है।

pattharchatta plant
Pattharchatta plant

यह एक सदाबहार पौधा है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। इसके गुण न केवल शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं बल्कि कई गंभीर बीमारियों को ठीक करने में भी कारगर हैं। आइए जानते हैं पत्थरचट्टा किन-किन बीमारियों के लिए फायदेमंद है और इसका सही सेवन कैसे करें।

पत्थरचट्टा से कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं ठीक?

 

1. गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत:

 

गठिया और जोड़ों के दर्द (arthritis) से जूझ रहे लोगों के लिए पत्थरचट्टा बेहद फायदेमंद है। यह सूजन को कम करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है।

2. गुर्दे की पथरी का इलाज:

kidney stone
गुर्दे की पथरी (kidney stone) के लिए पत्थरचट्टा को रामबाण माना जाता है।

इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल को तोड़ने में मदद करते हैं, जिससे पथरी आसानी से पेशाब के जरिए बाहर निकल जाती है। यह किडनी को स्वस्थ रखने में भी मददगार है।

3. हाई ब्लड प्रेशर में मददगार:

पत्थरचट्टा के पत्तों में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर (High BP) के मरीजों के लिए इसका सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।

कैसे करें पत्थरचट्टा का सेवन?

 

1. काढ़ा बनाकर: पत्थरचट्टा के पत्तों का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं।

2. अर्क के रूप में: इसके पत्तों से अर्क निकालकर इस्तेमाल किया जा सकता है।

3. लेप बनाकर: फोड़ा, फुंसी या सूजन पर इसके पत्तों को पीसकर लेप के रूप में लगाया जा सकता है।

पत्थरचट्टा के पत्तों का सेवन का सही तरीका और समय:

 

पत्थरचट्टा के पत्तों का सेवन 40 दिनों तक किया जा सकता है।

  • सेवन के एक घंटे बाद तक कुछ भी न खाएं।
  • किसी भी बीमारी के इलाज के लिए इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

नोट: यह लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। स्वास्थ्य समस्याओं के लिए हमेशा विशेषज्ञ की सलाह लें।

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गेंदे (Marigold) के पौधे की पिचिंग: एक तकनीक जिससे मिलते हैं अधिक फूल और घना पौधा

गेंदे (Marigold) के पौधे की पिचिंग (Pruning) जिससे मिलते हैं अधिक फूल और घना पौधा

 

गेंदे के पौधे में अधिक फूल और शाखाएं पाने के लिए पिचिंग (pruning) एक बहुत ही उपयोगी तकनीक है। इस प्रक्रिया में पौधे के मुख्य तने को हल्का काटा जाता है, जिससे उसमें कई नई शाखाएं निकलने लगती हैं। आइए समझते हैं कि पिचिंग क्यों की जाती है और इसे कैसे सही तरीके से किया जाए।

गेंदे (Marigold) के पौधे की पिचिंग
गेंदे (Marigold) के पौधे की पिचिंग

 

गेंदे (Marigold) की पिचिंग क्यों करें? Pruning of Marigold

 

अधिक फूलों के लिए

 

पिचिंग करने से पौधे में अधिक शाखाएं निकलती हैं, और हर शाखा पर एक फूल आता है। इससे पौधे पर फूलों की संख्या बढ़ जाती है, और यह अधिक आकर्षक लगता है।

लंबे समय तक पौधा घना बना रहे 

 

पिचिंग से पौधा घना और फैलावदार हो जाता है, जिससे बगीचे में वह और भी सुंदर दिखता है। इसका घना रूप इसे अधिक मजबूत और स्वस्थ भी बनाता है।

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Also, read: How to grow Marigold at home

कैसे करें गेंदे की पिचिंग?

 

✅ गेंदे (Marigold) के पौधे की पिचिंग का सही समय

 

marigold pinching

जब गेंदे का पौधा लगभग 6-8 इंच का हो जाए, तो उसे पिचिंग के लिए तैयार माना जाता है। इस ऊंचाई पर पौधा पर्याप्त मजबूत हो जाता है, जिससे उसमें नई शाखाएं निकलने की संभावना बढ़ जाती है।

 

✅ गेंदे (Marigold) के पौधे की पिचिंग की विधि

 

marigold pinching
Pinching of Marigold

पौधे के मुख्य तने को उस स्थान से काटें, जहाँ से नई शाखाएं निकलना शुरू हो रही हों।

  • इस प्रक्रिया में आप एक तेज और साफ चाकू या कैंची का उपयोग कर सकते हैं।
  • इस बात का ध्यान रखें कि कटाई साफ-सुथरी हो ताकि पौधे को नुकसान न पहुंचे और नए अंकुर जल्दी निकलें।

गेंदे के पौधे में पिचिंग की इस तकनीक को अपनाकर आप अपने बगीचे में फूलों की संख्या और पौधे की खूबसूरती दोनों बढ़ा सकते हैं।

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क्या आप जानते हैं – जेड प्लांट और क्रासुला ओवाटा दोनों अलग पौधे हैं? यहां पढ़े दोनों में कितना अंतर है

क्या आप जानते हैं – जेड प्लांट और क्रासुला ओवाटा दोनों अलग पौधे हैं?

Is Jade Plant and Crassula Ovata Different Plant

 

जेड प्लांट और क्रासुला ओवाटा दोनों ही सुकुलेंट (succulent) हैं, और अक्सर इन्हें एक जैसा माना जाता है। हालांकि वे एक ही परिवार से संबंधित हैं और समानताएं साझा करते हैं, फिर भी इन दोनों पौधों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं

जेड प्लांट और क्रासुला ओवाटा
जेड प्लांट और क्रासुला ओवाटा

इन विभिन्नताओं को समझने से आप दोनों पौधों की बेहतर देखभाल कर सकेंगे और यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि ये आपके घर या बगीचे में अच्छी तरह से ग्रो करें।

जेड प्लांट और क्रासुला ओवाटा के बीच का अंतर


1. पत्तियों का आकार

 

पत्तियों का आकार दोनों पौधों में प्रमुख अंतर है:

जेड प्लांट: जेड प्लांट की पत्तियाँ आमतौर पर छोटी और कॉम्पैक्ट होती हैं, जो इसे एक नाजुक रूप देती हैं।

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Jade plant

क्रासुला ओवाटा: क्रासुला ओवाटा की पत्तियाँ आकार में बड़ी और मजबूत होती हैं, जिससे यह पौधा जेड प्लांट की तुलना में अधिक भरा हुआ और भारी दिखता है।

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Crassula ovata

2. सूर्यप्रकाश की आवश्यकता

 

दोनों पौधों को सूर्यप्रकाश पसंद है, लेकिन उनकी प्राथमिकताएं थोड़ी अलग होती हैं:

Jade plant in pot
Jade plant in sunlight

जेड प्लांट: इसे प्रतिदिन 3 से 4 घंटे सीधा सूर्यप्रकाश चाहिए होता है, इसलिए इसे ऐसी जगह रखें जहां पर्याप्त धूप मिले, जैसे कि खिड़की के पास या बाहर किसी धूप वाले स्थान पर।

Crassula ovata
Crassula ovata indoor

क्रासुला ओवाटा: इस पौधे को  अप्रत्यक्ष सूर्यप्रकाश (bright light) पसंद है। यह कम धूप में भी बढ़ सकता है, इसलिए यह घर के अंदर या कम धूप वाले स्थानों में भी अच्छी तरह पनप सकता है।

Also, read: Is Jade Plant Indoor or Outdoor Plant

 

3. पानी की आवश्यकता

 

पानी की जरूरत के मामले में दोनों पौधे समान हैं:

दोनों पौधे सूखा सहन कर सकते हैं और इन्हें कम पानी की जरूरत होती है। पानी देने से पहले मिट्टी को पूरी तरह से सूखने देना चाहिए ताकि जड़ सड़ने की समस्या से बचा जा सके।

4. अधिक पानी सहन करने की क्षमता

 

हालांकि दोनों पौधे रसीले हैं, लेकिन अधिक पानी को सहन करने की क्षमता में अंतर है:

जेड प्लांट: यह पौधा थोड़े ज्यादा पानी को सहन कर सकता है, लेकिन फिर भी अधिक नमी से बचना जरूरी है।

क्रासुला ओवाटा: यह पौधा ज्यादा पानी के प्रति संवेदनशील है। इसकी जड़ें पानी में लंबे समय तक रहने पर सड़ सकती हैं, इसलिए इसे अतिरिक्त सावधानी से पानी देना चाहिए।

5. अधिक पानी के लक्षण (Overwatering)

 

अधिक पानी देने से दोनों पौधों की पत्तियों में बदलाव आ सकते हैं:

जेड प्लांट: इसकी पत्तियाँ पीली हो जाती हैं, जो संकेत देती हैं कि पौधे को अधिक पानी मिल रहा है।

क्रासुला ओवाटा: इसके विपरीत, क्रासुला ओवाटा की पत्तियाँ भूरी हो जाती हैं, जो पौधे को ज्यादा गंभीर नुकसान का संकेत देती हैं।

Also, read: Jade plant complete care

 

6. आकार और विकास

 

इन पौधों का आकार भी इन्हें पहचानने में मदद करता है:

जेड प्लांट: यह आमतौर पर छोटे आकार का रहता है और छोटे स्थानों में आसानी से रखा जा सकता है।

क्रासुला ओवाटा: यह अधिक बड़ा और पेड़ जैसा बन सकता है, खासकर जब इसे उचित स्थान और देखभाल मिले। यह 3 फीट तक बढ़ सकता है, जबकि जेड प्लांट आमतौर पर छोटा और कॉम्पैक्ट रहता है।

7. मिट्टी का मिश्रण

 

दोनों पौधों को एक जैसी मिट्टी पसंद है:

  • मिट्टी: दोनों के लिए एक अच्छी जलनिकासी वाली, रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त है। सक्सुलेंट या कैक्टस के लिए तैयार किया गया मिट्टी का मिश्रण इनकी जड़ों में पानी रुकने से रोकता है।

8. मौसमी प्राथमिकताएं

 

हर पौधा एक खास मौसम में सबसे अच्छा बढ़ता है:

जेड प्लांट: यह गर्मियों में अच्छी तरह से बढ़ता है, और इसके लिए 25°C से 35°C के बीच का तापमान आदर्श है।

क्रासुला ओवाटा: यह ठंडे मौसम में बेहतर पनपता है, और 18°C से 25°C का तापमान इसके लिए उपयुक्त है।

9. तापमान सहनशीलता

 

इन पौधों का तापमान सहनशीलता में भी अंतर है:

जेड प्लांट: यह गर्म क्षेत्रों में अच्छी तरह बढ़ता है, जहाँ तापमान 25°C से 35°C के बीच होता है।

क्रासुला ओवाटा: यह ठंडे तापमान को बेहतर तरीके से सहन कर सकता है और 18°C से 25°C के तापमान वाले स्थान इसके लिए अनुकूल होते हैं।

निष्कर्ष

हालांकि जेड प्लांट और क्रासुला ओवाटा में कई समानताएं हैं, फिर भी इनके पत्तियों के आकार, सूर्यप्रकाश की आवश्यकता, अधिक पानी के प्रति सहनशीलता और मौसमी बढ़त में कुछ अलग विशेषताएं हैं। इन विभिन्नताओं को समझने से आप इनकी सही देखभाल कर पाएंगे और यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि ये पौधे स्वस्थ और आकर्षक बने रहें। चाहे आप इन्हें घर के अंदर रखें या बाहर, इनके व्यक्तिगत जरूरतों को जानना एक सफल पौधा देखभाल का आधार है।

शुभ बागवानी!!

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Tulsi Vivah 2024

Tulsi Vivah 2024 Date: जानें कब है तुलसी विवाह, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

Tulsi Vivah 2024

पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

 

तुलसी विवाह हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप का विवाह देवी तुलसी से कराते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस पूजा से दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है, विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और घर में समृद्धि और खुशहाली का संचार होता है। इस लेख में जानें तुलसी विवाह 2024 का शुभ मुहूर्त, तारीख और इसका धार्मिक महत्व।

Tulsi Vivah 2024

तुलसी विवाह – Tulsi Vivah 2024 की तिथि

 

इस वर्ष तुलसी विवाह का आयोजन कार्तिक शुक्ल एकादशी युक्त द्वादशी तिथि को, अर्थात् 12 नवंबर 2024, मंगलवार को होने जा रहा है।

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है, और प्रदोष काल में तुलसी विवाह का आयोजन श्रेष्ठ होता है।

देवउठनी एकादशी 2024

  • इस दिन देवउठनी एकादशी भी है, जिसे देवताओं के जागने का दिन माना जाता है, और इसी कारण तुलसी विवाह का महत्व और भी बढ़ जाता है।

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त 2024

 

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि का आरंभ 12 नवंबर, मंगलवार को शाम 4:04 pm बजे से हो रहा है, और इसका समापन 13 नवंबर, बुधवार को दोपहर 1:01 pm बजे होगा।

प्रदोष मुहूर्त सूर्यास्त के बाद से शुरू होता है, लेकिन 13 नवंबर को द्वादशी तिथि में तुलसी विवाह के लिए यह मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

tulsi vivah 2024 date 4

 12 नवंबर को प्रदोष काल शाम 5:29 pm बजे से शुरू होकर लगभग 7:53 pm बजे तक रहेगा।

  • इस समय में तुलसी विवाह का आयोजन शुभ माना गया है। 
  • इसके साथ ही उस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जो पूजा के महत्व को बढ़ाते हैं।

तुलसी विवाह 2024 का विस्तृत मुहूर्त:

 

  • प्रदोष काल:  12 नवंबर – शाम 5:29 pm बजे से शाम 7:53 pm बजे तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग:  12 नवंबर की सुबह 7:52 am बजे से 13 नवंबर की सुबह 5:40 am बजे तक
  • रवि योग:  13 नवंबर की सुबह 6:42 am बजे से सुबह 7:52 am बजे तक
  • हर्षण योग:  13 नवंबर पूरे दिन शाम 7:10 pm बजे तक

इन शुभ योगों के संयोग में तुलसी विवाह का आयोजन अत्यंत फलदायी माना जाता है।

  • सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य विशेष रूप से सफल होते हैं और पूजन के लिए इसे अत्यंत शुभ माना गया है।

तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व

 

tulsi vivah 2024

तुलसी शालिग्राम विवाह: तुलसी विवाह में भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह तुलसी से होता है।

इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार वृंदा, जो एक विष्णु भक्त और पतिव्रता स्त्री थी, की तपस्या के कारण उसके पति जलंधर को कोई हरा नहीं सकता था। जब जलंधर का आतंक बढ़ गया तो विष्णु जी ने उसका वध करने का निश्चय किया और वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग कर उसे पराजित किया।

वृंदा की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा ने एक तुलसी के पौधे का रूप धारण कर लिया, और विष्णु भगवान ने उसे वरदान दिया कि उसका विवाह शालिग्राम रूप से होगा और उसकी पूजा में तुलसी के बिना अधूरी मानी जाएगी।

इसीलिए विष्णु भगवान की पूजा में तुलसी के पत्तों का विशेष महत्व है। यह विवाह भक्तों के लिए भी धार्मिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह सौभाग्य, सुख, और शांति का प्रतीक है।

यह लेख पढ़ें: वास्तु के अनुसार तुलसी का पौधा घर में कहां रखना चाहिए

 

तुलसी विवाह का आयोजन विधि

 

Tulsi vivah 2024 puja

तुलसी विवाह के दिन एक विशेष पूजा का आयोजन होता है जिसमें तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और शालिग्राम के साथ उसका विवाह कराया जाता है।

  • विवाह की पूरी विधि हिंदू विवाह की तरह ही की जाती है, जिसमें मंगल गीत गाए जाते हैं और पारंपरिक विवाह के सभी रस्में निभाई जाती हैं।
  • तुलसी के पौधे को चुनरी, बिंदी और कंगन से सजाया जाता है और शालिग्राम को पवित्र वस्त्र धारण कराए जाते हैं।

यह लेख पढ़ें: तुलसी के पौधे की देखभाल कैसे करें

तुलसी विवाह के लाभ

 

Tulsi vivah 2024 puja

तुलसी विवाह का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व तो है ही, साथ ही इसे करने से कई सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

1. दांपत्य जीवन में सुख-शांति: ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से विवाहित जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।

2. विवाह की बाधाएं होती हैं दूर: जिन लोगों के विवाह में किसी प्रकार की रुकावट आ रही हो, उनके लिए तुलसी विवाह का आयोजन अत्यंत लाभकारी माना गया है।

3. संतान प्राप्ति का योग: तुलसी विवाह के अवसर पर विधिपूर्वक पूजा करने से संतान प्राप्ति में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।

4. धन और समृद्धि: इस पूजा से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का संचार होता है।

 

निष्कर्ष

तुलसी विवाह का पर्व केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि इसके माध्यम से समाज में विवाह, प्रेम, समर्पण और निष्ठा का संदेश भी प्रसारित होता है। इसे करने से जीवन में खुशहाली, सुख-शांति और समृद्धि आती है।

तुलसी विवाह 2024 में 12 नवंबर को मनाया जाएगा, जो कार्तिक मास की एकादशी युक्त द्वादशी तिथि पर प्रदोष काल में होगा। इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी के मिलन का साक्षी बनकर सभी भक्त अपने जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य का संचार कर सकते हैं।

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वास्तु के अनुसार तुलसी का पौधा घर में कहां रखना चाहिए

वास्तु के अनुसार तुलसी (Tulsi) का पौधा घर में कहां रखना चाहिए

वास्तु के अनुसार तुलसी (Tulsi) का पौधा घर में कहां रखना चाहिए

 

तुलसी को भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान प्राप्त है। हिंदू धर्म में तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है और इसे हर घर में पूजनीय माना जाता है। तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी अत्यधिक प्रभावशाली हैं। तुलसी का उपयोग प्राचीन काल से आयुर्वेदिक उपचार में किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

आइए जानते हैं घर में तुलसी (Tulsi) का पौधा घर में कहां रखना चाहिए

Tulsi bushy
स्वस्थ तुलसी (Tulsi) का पौधा

 

1. तुलसी के पौधे के लिए सही दिशा का चयन

 

तुलसी का पौधा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। यह दिशा सुबह की सूर्य किरणों को प्राप्त करती है, जो पौधे की वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती है।

पूर्व दिशा में तुलसी का महत्व

 

पूर्व दिशा सूर्य की दिशा मानी जाती है और इसे ऊर्जा का स्रोत माना गया है।

  • इस दिशा में तुलसी का पौधा रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • सुबह की सूर्य किरणें तुलसी के पौधे पर पड़ती हैं, जिससे इसका विकास भी बेहतर होता है और इसकी सकारात्मकता बढ़ती है।

उत्तर दिशा में तुलसी का महत्व

 

उत्तर दिशा धन और समृद्धि की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में तुलसी का पौधा रखने से घर में आर्थिक स्थिरता बनी रहती है और लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है।

  • वास्तु के अनुसार, उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।

यह लेख पढ़ें: तुलसी के पौधे की देखभाल कैसे करें

 

2. तुलसी के पौधे के लिए सही स्थान का चयन

 

तुलसी का पौधा मुख्य द्वार के पास या आँगन में रखना शुभ माना जाता है। ये स्थान घर के बाहरी हिस्सों में होते हैं जहाँ तुलसी के पौधे का संचार आसानी से पूरे घर में हो सकता है।

मुख्य द्वार के पास तुलसी

 

मुख्य द्वार के पास तुलसी का पौधा रखना घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा को शुद्ध करने में सहायक होता है।

  • यह नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।

आँगन में तुलसी का महत्व

 

घर के आँगन में तुलसी का पौधा रखना वास्तु अनुसार अत्यंत शुभ होता है।

  • आँगन में तुलसी रखने से घर का वातावरण स्वच्छ और शुद्ध बना रहता है। साथ ही, आँगन में तुलसी लगाने से इसके औषधीय गुणों का लाभ पूरे घर में मिलता है।

3. तुलसी के पौधे को लेकर वास्तु में माने गए कुछ नियम

 

तुलसी का पौधा रखते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • इसे कभी भी घर के भीतर के पूजा घर में न रखें। इसके साथ ही, तुलसी के पौधे को टूटे या खराब स्थान पर रखना अशुभ माना जाता है। तुलसी को रोजाना जल चढ़ाना चाहिए और इसे प्रदूषित स्थानों से दूर रखना चाहिए।

4. साफ-सफाई का ध्यान रखें

 

तुलसी के पौधे के आसपास का क्षेत्र हमेशा साफ और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होना चाहिए।

  • गंदगी और अव्यवस्था से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो तुलसी के पौधे के प्रभाव को कम कर सकती है।

5. सूर्य की रोशनी आवश्यक

 

Tulsi plant soil
Tulsi plant in sunlight

 

तुलसी का पौधा धूप में रखा जाना चाहिए।

  • घर के अंदर रखते समय ध्यान दें कि वह पर्याप्त धूप प्राप्त कर सके, क्योंकि तुलसी को उचित मात्रा में सूर्य की ऊर्जा की जरूरत होती है।

6. पौधे की देखभाल

 

तुलसी को नियमित पानी देना चाहिए, लेकिन ज्यादा पानी से बचना चाहिए।

  • पौधे को समय-समय पर साफ करते रहें और सूखे पत्तों को हटाते रहें।

तुलसी विवाह 2024

 

तुलसी विवाह हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं घर में माता तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराती हैं, जिससे दांपत्य जीवन की समस्याओं में राहत मिलती है। 2024 में तुलसी विवाह 12 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसमें द्वादशी तिथि की शुरुआत उसी दिन शाम 4:04 बजे से होगी और इसका समापन 13 नवंबर को दोपहर 1:01 बजे पर होगा।

यह लेख पढ़ें: Tulsi Vivah 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

 

वास्तु के अनुसार, तुलसी का पौधा घर में सही दिशा और स्थान पर रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा के दृष्टिकोण से भी लाभकारी है। सही दिशा में तुलसी का पौधा रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

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jade lucky plant

क्या जेड प्लांट (Jade plant) को रखने से Luck चमकता है? जानिए सच

क्या जेड प्लांट (Jade plant) को रखने से Luck चमकता है?

 

जेड प्लांट (jade plant), जिसे हम मनी ट्री या लकी प्लांट के नाम से भी जानते हैं, का नाम आपने जरूर सुना होगा। ऐसा माना जाता है कि इस पौधे को घर में रखने से सौभाग्य, सुख-समृद्धि और धन में वृद्धि होती है। क्या वास्तव में इस पौधे में ऐसा कुछ खास है जो हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है? आइए, इस लेख में हम इसे विस्तार से समझते हैं।

जेड प्लांट (Jade plant) और फेंग शुई में इसका महत्व

 

फेंग शुई में, जेड प्लांट को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे ऐसी दिशा में रखना चाहिए जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है, जैसे कि दक्षिण-पूर्व दिशा। ऐसा माना जाता है कि जेड प्लांट उस जगह के वायुमंडल में सुख-शांति और खुशहाली लाता है।

Jade plant
Jade plant

क्या जेड प्लांट (Jade plant) सच में Luck को बढ़ाता है?

 

यह विश्वास कि जेड प्लांट लक और समृद्धि बढ़ाता है, कई सभ्यताओं और संस्कृतियों में प्रचलित है। इसकी उपस्थिति एक सकारात्मक वातावरण बनाती है और मानसिक शांति भी प्रदान करती है। लोग इसे अपने घर में रखते हैं ताकि सौभाग्य उनके साथ रहे।

जेड प्लांट रखने के फायदे

 

1. मानसिक शांति: इस पौधे की हरियाली मानसिक शांति प्रदान करती है और तनाव को कम करती है।

2. धन में वृद्धि: इसे व्यापारिक प्रतिष्ठानों और घरों में रखने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

जेड प्लांट को कहाँ रखना चाहिए?

 

इसे घर में मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।

  • यह दिशा धन की मानी जाती है और जेड प्लांट को यहां रखने से समृद्धि आती है।
  • ऑफिस में इसे अपने कार्य स्थल पर रखें ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

12 कारण क्यों आपको घर में जेड प्लांट रखना चाहिए  

 

जेड प्लांट की देखभाल कैसे करें?

 

1. पानी देना: सप्ताह में एक बार ही पानी दें, अधिक पानी से इसकी जड़ें सड़ सकती हैं।

2. रोशनी: इसे पर्याप्त धूप मिलनी चाहिए, जिससे इस पौधे की वृद्धि अच्छी हो सके।

जेड प्लांट में कौन-कौन से सामान्य समस्याएँ हो सकती हैं?

 

1. पत्तियाँ पीली पड़ना: यह अधिक पानी देने से हो सकता है।

2. जड़ें सड़ना: ओवरवाटरिंग से जड़ें सड़ सकती हैं, जो पौधे के लिए हानिकारक होती हैं।

जेड प्लांट को स्वस्थ और हरा-भरा कैसे रखें?

 

जेड प्लांट को सही मिट्टी और नियमित देखभाल की जरूरत होती है। अच्छी तरह से पानी दें और जरूरत के अनुसार खाद का इस्तेमाल करें।

क्या जेड प्लांट को गिफ्ट किया जा सकता है?

 

जेड प्लांट एक बेहतरीन उपहार है जो दोस्ती और शुभकामनाओं का प्रतीक है। इसे शुभ अवसरों पर गिफ्ट कर सकते हैं, खासकर गृह प्रवेश या व्यापार शुरू करते समय।

jade plant bushy

जेड प्लांट और स्वास्थ्य पर प्रभाव

 

जेड प्लांट वायु शुद्ध करने में मददगार है। यह वायुमंडल से विषाक्त पदार्थों को कम करता है, जिससे घर में शुद्ध और ताज़ा हवा रहती है।

जेड प्लांट से जुड़ी कुछ रोचक बातें

 

इस पौधे का इस्तेमाल सदियों से शुभता लाने के लिए किया जाता रहा है।

  • विभिन्न संस्कृतियों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है और मान्यता है कि यह जीवन में सकारात्मकता लाता है।

निष्कर्ष

जेड प्लांट केवल एक सुंदर पौधा ही नहीं है, बल्कि यह घर में सकारात्मकता, समृद्धि और खुशहाली भी लाता है। यदि आप इसे अपने घर या ऑफिस में सही दिशा में रखते हैं और इसकी सही देखभाल करते हैं, तो यह न केवल आपके स्थान को सजाएगा बल्कि आपके जीवन में सौभाग्य भी लाएगा।

धन्यवाद!

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Dhanteras 2024 Tulsi

Dhanteras 2024 Tulsi: धनतेरस पर तुलसी की पूजा के लाभ

Dhanteras 2024 Tulsi 

धनतेरस पर तुलसी की पूजा के लाभ

 

धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस साल 29 अक्टूबर को है। इस पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है क्योंकि इसे धन और समृद्धि की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

दीपावली से दो दिन पहले आने वाला यह पर्व न केवल धन, बल्कि स्वास्थ्य और शुभता की भी कामना करता है। इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। यहां हम जानेंगे कि धनतेरस के दिन तुलसी की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है और इसके क्या लाभ हैं।

Dhanteras 2024 Tulsi

धनतेरस 2024 (Dhanteras 2024) कब है?

 

धनतेरस इस साल 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

इस दिन भगवान धन्वंतरि, जिन्हें स्वास्थ्य का देवता माना जाता है, का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को स्वास्थ्य और धन की दृष्टि से शुभ माना जाता है।

  • दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला यह पर्व विशेष रूप से धन की देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

Dhanteras 2024 Tulsi 

धनतेरस के दिन तुलसी की पूजा का महत्व

 

धनतेरस के दिन तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है, इसलिए इस दिन तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है। तुलसी का पौधा धार्मिक दृष्टि से पवित्र और स्वास्थ्य की दृष्टि से औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

धनतेरस पर तुलसी की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और घर में खुशहाली बनी रहती है।

यह लेख पढ़ें: वास्तु के अनुसार तुलसी का पौधा घर में कहां रखना चाहिए

 

तुलसी की पूजा से प्राप्त लाभ

 

1. धन और समृद्धि में वृद्धि

 

धनतेरस के दिन तुलसी की पूजा करने से घर में धन और समृद्धि का प्रवाह होता है। तुलसी को धन की देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है, इसलिए इस दिन तुलसी की पूजा से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

2. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा

 

तुलसी का पौधा वातावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है। धनतेरस पर तुलसी की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे घर के सदस्यों में उत्साह और मनोबल बना रहता है।

3. स्वास्थ्य लाभ

 

तुलसी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसके पत्तों का सेवन करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और विभिन्न बीमारियों से बचाव होता है। धनतेरस पर तुलसी की पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ की कामना की जाती है, जिससे घर के सदस्यों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

4. आध्यात्मिक उन्नति

 

तुलसी की पूजा से आध्यात्मिक उन्नति होती है और मन को शांति प्राप्त होती है। तुलसी के पौधे को नियमित रूप से पूजने से घर में शांति और सद्भावना का वातावरण बना रहता है।

यह लेख पढ़ें: Tulsi Vivah 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

 

तुलसी का पौधा और मां लक्ष्मी का संबंध

 

तुलसी का पौधा मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय माना जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति धनतेरस के दिन तुलसी की पूजा करता है, उस पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। तुलसी का पौधा घर में सुख-समृद्धि का प्रतीक होता है, और इसे घर में रखने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

 

निष्कर्ष

धनतेरस के दिन तुलसी की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है। यह पर्व न केवल आर्थिक रूप से समृद्धि की कामना करता है बल्कि घर के वातावरण को भी सकारात्मक और शुद्ध बनाता है। इस धनतेरस पर तुलसी की पूजा करें और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें ताकि आपका जीवन खुशहाल और धन-धान्य से परिपूर्ण हो।

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तुलसी के पौधे में हल्दी डालने से क्या होता है? जानिये इसके 5 फायदे

तुलसी के पौधे में हल्दी डालने से क्या होता है?

 

क्या यह सच है कि, हल्दी डालने से आपके तुलसी के पौधे की अच्छी ग्रोथ हो सकती है? क्या हल्दी का पौधे पर वास्तव में कोई प्रभाव पड़ता है? या फिर, हल्दी डालने से आपका तुलसी का पौधा खराब हो सकता है? इस लेख में, हम जानेंगे हल्दी डालने से तुलसी के पौधे पर होने वाले फायदे और नुकसान।

तुलसी के पौधे में हल्दी डालने से क्या होता है?

तुलसी (पवित्र तुलसी) भारतीय घरों में एक पूजनीय पौधा है, जो अपने औषधीय और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। इसे स्वस्थ और समृद्ध बनाए रखने के लिए, लोग अक्सर प्राकृतिक उपचारों का सहारा लेते हैं। ऐसा ही एक उपाय है हल्दी का उपयोग करना।

हल्दी, अपने शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के साथ, तुलसी के पौधे को कई लाभ प्रदान कर सकती है

जानिये तुलसी के पौधे में हल्दी डालने के 5 फायदे

 

1. फंगल इंफेक्शन को रोकता है (Prevents Fungal Infections)

हल्दी में कर्क्यूमिन (curcumin) नामक एक यौगिक होता है, जो अपने मजबूत एंटी-फंगल गुणों के लिए जाना जाता है।

  • जब इसे मिट्टी में छिड़का जाता है या पानी में मिलाकर तुलसी के पौधे की जड़ों में डाला जाता है, तो यह उन फंगल इंफेक्शन को रोकने में मदद कर सकता है जो अक्सर जड़ों और पत्तियों पर हमला करते हैं।

यह विशेष रूप से नमी वाले वातावरण में फायदेमंद होता है, जहाँ फंगस के विकास की संभावना अधिक होती है।

fungus in tulsi plant
तुलसी के पौधे में फंगल संक्रमण

 

2. मिट्टी की सेहत सुधारता है (Improves Soil Health)

हल्दी के प्राकृतिक एंटी-माइक्रोबियल गुण मिट्टी में हानिकारक बैक्टीरिया और फंगस को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

  • इससे पौधे की जड़ों के विकास के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनता है।

मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की मात्रा को कम करके, हल्दी यह सुनिश्चित करती है कि पौधे को आवश्यक पोषक तत्व बिना किसी रुकावट के मिलें।

3. जड़ सड़न को रोकता है (Prevents Root Rot)

जड़ सड़न कई घरेलू पौधों में एक आम समस्या है, जिसमें तुलसी भी शामिल है। यह तब होती है जब जड़ें अत्यधिक नमी या फंगल इंफेक्शन के संपर्क में आती हैं।

  • मिट्टी में हल्दी की थोड़ी मात्रा मिलाने से जड़ों को सड़ने से बचाया जा सकता है, क्योंकि यह एक प्राकृतिक कीटाणुनाशक की तरह काम करती है और मिट्टी को शुष्क और हानिकारक रोगाणुओं से मुक्त रखती है।

यह लेख पढ़ें: बीज से तुलसी का पौधा कैसे उगायें

 

4. पौधे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है (Boosts Plant Immunity)

जिस तरह हल्दी मनुष्यों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, उसी तरह यह पौधों में भी काम करती है।

  • हल्दी के नियमित, नियंत्रित उपयोग से तुलसी के पौधे की समग्र सेहत में सुधार हो सकता है, जिससे यह बीमारियों और कीटों के प्रति अधिक मजबूत हो जाता है।
  • इसके परिणामस्वरूप पौधे की वृद्धि मजबूत हो सकती है और पत्तियों की संख्या भी बढ़ सकती है।

5. हल्दी चींटियों को दूर भगाती है (Turmeric Repels Ants)

 

हल्दी का इस्तेमाल करने से आपके पौधे के आस-पास चींटियों की आवाजाही कम हो सकती है।

  • मिट्टी में थोड़ी मात्रा में हल्दी मिलाकर आप चींटियों को अपने तुलसी के पौधे के पास आने से रोक सकते हैं।

यह लेख पढ़ें

तुलसी का पौधा कैसे उगाएं और उसकी देखभाल कैसे करें

 

स्वस्थ तुलसी का पौधा

कौन सी हल्दी का उपयोग करना चाहिए?

 

बाजार में जो हल्दी मिलती है, उसमें अक्सर रसायनों का उपयोग किया जाता है, इसलिए इसे कभी भी पौधों में इस्तेमाल न करें। इसके बजाय, आप खड़ी हल्दी (साबुत हल्दी) लेकर उसे घर पर पीसकर उपयोग करें। यह अधिक सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्प है।

 

तुलसी के पौधे में हल्दी कैसे इस्तेमाल करें:

 

1. मिट्टी में हल्दी पाउडर:

  • एक चम्मच हल्दी पाउडर को मिट्टी की ऊपरी सतह में मिलाएं और इसे तुलसी के पौधे की जड़ों के पास डालें।

2. हल्दी पानी:

  • पानी में एक चुटकी हल्दी घोलें और इसे हर कुछ हफ्तों में धीरे-धीरे पौधे की जड़ों के पास डालें।

3. अत्यधिक उपयोग से बचें:

बहुत अधिक हल्दी मिट्टी की प्राकृतिक रासायनिक संरचना को असंतुलित कर सकती है।

  • इसे संयम से ही इस्तेमाल करें, केवल आवश्यकता पड़ने पर, ताकि पौधे की वृद्धि पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

महत्वपूर्ण नोट:

अगर हल्दी की मात्रा ज़्यादा हो जाती है, तो इससे आपका पौधा खराब हो सकता है।

  • इसलिए, हल्दी का उपयोग बहुत सावधानी से और कम मात्रा में करें, केवल तभी जब ज़रूरत हो।
  • लगातार उपयोग करने से भी पौधा कमजोर हो सकता है और उसकी वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

निष्कर्ष

हल्दी एक प्राकृतिक और प्रभावी तरीका है जिससे आप अपने तुलसी के पौधे की सेहत और वृद्धि को बेहतर बना सकते हैं। इसके एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और जड़ों की सुरक्षा करने वाले गुण इसे आपके पौधे की देखभाल की प्रक्रिया में एक बेहतरीन जोड़ बनाते हैं। हालांकि, हमेशा ध्यान रखें कि संतुलन महत्वपूर्ण है। सही मात्रा में इस्तेमाल करने से हल्दी आपके तुलसी के पौधे को सालों तक स्वस्थ और जीवंत बनाए रखने में मदद कर सकती है।

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हरसिंगार (पारिजात) पौधे को कैसे उगाएं और इसकी देखभाल कैसे करें?

हरसिंगार (पारिजात) पौधे को कैसे उगाएं और इसकी देखभाल कैसे करें?

 

हरसिंगार, एक पौधा है जिसमें नारंगी और सफेद रंग के आकर्षक फूल खिलते हैं। इसको पारिजात, रात्रि-फूल वाली चमेली (Night Jasmine), शिउली या शेफाली (Shiuli) जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। सुंदर और सुगंधित फूल पाने के लिए इसे मध्यम आकार के गमलों में उगाया जा सकता है।

हरसिंगार (पारिजात) 

 

  • हरसिंगार एक पवित्र पौधा है जिसके बहुत सारे फायदे हैं।
  • लोग हरसिंगार पौधे की पूजा करते हैं और इसके फूलों को देवताओं को भी चढ़ाते हैं।
  • इसके विभिन्न औषधीय और स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इस पौधे की पत्तियों में बुखार, साइटिका और घुटनों के दर्द को ठीक करने की क्षमता होती है। इन पत्तियों से कई औषधियाँ बनाई जाती हैं।
  • विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक खाद्य रंग के रूप में इसके फूलों का उपयोग किया जा सकता है। व्यंजनों में केसर की जगह सूखे फूलों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

यह बारहमासी पौधा है, बहुत ही कठोर और इसकी देखभाल करना बहुत आसान है। एक बार स्थापित होने के बाद यह 100 वर्षों तक चलेगा। विविधता की दुनिया में, प्रत्येक जीवित प्राणी की ज़रूरतें, व्यवहार और आवश्यकताएं अलग-अलग हैं। इस आलेख में, हरसिंगार के सभी पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया जाएगा, ताकि आप भी इस पौधे को उगा सके।

हरसिंगार (पारिजात) के लिए सबसे अच्छा मौसम

 

हरसिंगार (पारिजात)
हरसिंगार (पारिजात)

1. उगाने का मौसम – हरसिंगार एक सामान्य ग्रीष्मकालीन पौधा है और फरवरी से सितंबर तक 8 महीनों तक अच्छी तरह से पनपता है। इस अवधि में नई शाखाएँ और पत्तियाँ तीव्र गति से निकलती हैं।

2. खिलने का मौसम – हरसिंगार (पारिजात) में  फूल अक्टूबर से लेकर दिसंबर, जनवरी और फ़रवरी तक खिलते हैं।

3. सुप्त अवस्था  – ठंड के मौसम में यह पौधा थोड़ी सुप्त अवस्था  (dormancy period) में चला जाता है। विशेषकर उत्तर भारत में दिसंबर के अंत से जनवरी तक यह तनाव (stress) में रहता है। इसके विकास, फूल आने और सुप्तता चक्र के अनुरूप फरवरी में इसकी छंटाई (pruning) करें।

पौध प्रवर्धन (Plant Propagation)

 

  • इसे कलमों द्वारा प्रवर्धित (विकसित) किया जा सकता है।
  • इसके पौधे को उगाने के लिए बीजों का उपयोग किया जा सकता है।
  • उपरोक्त दोनों के लिए, पौधा उगाने का सबसे अच्छा समय फरवरी का महिना होता है।
  • इसे नर्सरी से भी खरीदा जा सकता है। इसे नर्सरी से प्राप्त करने का सबसे अच्छा समय मार्च का अंत और अप्रैल है।

नर्सरी से खरीदते समय हरसिंगार की पहचान कैसे करें?

 

प्रारंभ में, पौधे में कोई फूल नहीं होते हैं, इसलिए पौधे की पहचान करने के लिए पत्तियों की जाँच की जा सकती है।

  • इसकी पत्तियाँ खुरदरी बनावट वाली थोड़ी नुकीली होती हैं (जिन्हें उन पर हाथ फेरकर महसूस किया जा सकता है)
  • पत्तियां चमकदार नहीं होती हैं, बाहरी सतह पर मैट फ़िनिश के साथ बढ़ती हैं।
  • पत्तियां सूखी होती हैं, उन्हें हाथ से मोड़ने पर थोड़ी खुश्की महसूस होगी।

यह लेख पढ़े:

करी पत्ता कैसे उगाये और देखभाल कैसे करें?

 

हरसिंगार (पारिजात) के लिए गमला कैसा होना चाहिए

 

  • आमतौर पर यहां बड़े आकार के मिट्टी के गमले को प्राथमिकता दी जाती हैं।
  • 12 इंच से लेकर 16 इंच, 18 या 21 इंच तक के आकार का कोई भी गमला चुना जा सकता है।
हरसिंगार का पेड़ गमले में

यह लेख पढ़े:

गुलाब के लिए सही मिट्टी का मिश्रण कैसे बनाये?

पारिजात (हरसिंगार) पौधे की मिट्टी कैसी होनी चाहिए

 

 

इस पौधे की मिट्टी मुलायम और भुरभुरी होनी चाहिए। चिकनी और कठोर मिट्टी से बचें, उस मिट्टी में पौधे जीवित नहीं रह पाएंगे।

मिट्टी बनाने की विधि:

  • स्थानीय मिट्टी लें और उसे अच्छी तरह से साफ करें।
  • मिट्टी की आधी मात्रा के बराबर रेत लें।
  • रेत की आधी मात्रा में कम्पोस्ट (यहां गाय के गोबर की कम्पोस्ट ले सकते है) लें।
  • सभी चीजों को अच्छे से मिला लें।

तथ्य:

  • कठोर या चिकनी मिट्टी, गलत गमला (इस पौधे के लिए कम से कम 1 सीजन के लिए हमेशा मिट्टी का गमला चुनें), और अधिक पानी देने से पौधे की वृद्धि में बाधा आ सकती है।

पौधे को स्थानांतरित करने के बाद, फूल आने तक इसे अधिक घना बनाने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करना आवश्यक है।

हरसिंगार को सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता

 

  • एक बार जब पौधा शिफ्ट होकर व्यवस्थित हो जाए तो उसे ऐसे स्थान पर रखें जहां सबसे ज्यादा धूप आती हो।
  • इस पौधे को  कम से कम 4 घंटे की धूप अनिवार्य है।

पारिजात (हरसिंगार) पौधे की छंटाई (प्रूनिंग)

 

  • सभी शाखाओं के सिरे को गाँठ के ठीक ऊपर से काटें।
  • लगभग 25 दिनों के बाद उस बिंदु से नई शाखाएँ उग आएंगी जहाँ से सिरे निकाले गए थे।

हरसिंगार को पानी देने का तरीका  

 

कई पौधों को जीवित रहने के लिए नम मिट्टी की आवश्यकता होती है लेकिन यहां इसकी सलाह नहीं दी जाती है। हरसिंगार को तब पानी की आवश्यकता होती है जब मिट्टी अंदर से भी सूखी हो।

  • पहली बार पानी ठीक से किश्तों में दें जब तक कि वह नीचे के छिद्र से बाहर न आ जाए।
  • उसके बाद ऊपरी मिट्टी को ढीला बनायें और यदि मिट्टी अंदर से सूखी हो तो पानी दें।
  • यदि मिट्टी गीली है तो पानी देने के लिए कुछ दिन और रुकें।
  • यह पौधा अधिक पानी देने से नहीं, बल्कि कम पानी देने से मर जाता है।

हरसिंगार को खाद कब दें 

 

हरसिंगार को खाद देने का तरीका थोड़ा अलग है।

  • फरवरी से सितंबर – इस समय गाय के गोबर की तरल (cow-dung liquid fertilizer) खाद देनी चाहिए। यह खाद महीने में एक बार एक निश्चित तारीख को को ही देनी चाहिए।
  • वैकल्पिक रूप से, इस अवधि में वर्मीकम्पोस्ट टी (vermicompost tea) का भी उपयोग किया जा सकता है।
  • अक्टूबर से जनवरी – इन 4 महीनों के लिए सरसों की खली(mustard cake liquid fertilizer) की तरल खाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • इसके अलावा इस समय कोई तरल टॉनिक (प्याज का छिलका, एप्सम नमक या केले का छिलका) यानी सूक्ष्म पोषक तत्व भी 15 दिन के अंतराल में देना चाहिए।
  • शरद ऋतु इस पौधे के फूल आने का समय है, इसलिए इसमें लगातार फूल खिलने के लिए उचित उर्वरक डालना चाहिए।

तथ्य:

  • हरसिंगार पौधे में फूल आने की अनूठी दिनचर्या होती है।
  • फूल शरद ऋतु में आते हैं और रात के दौरान खिलते हैं और अगली सुबह वे अपने आप झड़ जाते हैं।
  • हरसिंगार लगभग 1.5 महीने तक खिलता है और उसके बाद सर्दी के मौसम पौधे में इस  की सुसुप्त अवधि (dormancy period) होती है।

 

उपरोक्त विवरण पारिजात पौधे के बारे में थी। इस उगाएं। और इसका आनंद लें।

इस पौधे की देखभाल करके इससे ढेर सारे फूल प्राप्त करें।

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अपने बगीचे से कंबल कीड़े को हटाने के 7 आसान उपाय

अपने बगीचे से कंबल कीड़े को हटाने के 7 आसान उपाय

अपने बगीचे से कंबल कीड़े को हटाने के 7 आसान उपाय

 

यदि आपके पौधों की पत्तियाँ कटी-फटी दिखाई दे रही हैं, तो इसका मतलब है कि आपके बगीचे पर कीड़ों का हमला हो चुका है। ये कीड़े पत्तियों को खाकर पौधों को नुकसान पहुँचाते हैं।

हर साल मानसून के मौसम में हमारे पौधों पर कंबल कीड़े (जिसे ऊनी कीड़ा या बालों वाला कीड़ा भी कहते हैं) का हमला होता है। यह कीड़ा पौधों की खासकर कोमल पत्तियाँ और तनों को खाकर नुकसान पहुँचाता है। गंभीर संक्रमण की स्थिति में पौधे पूरी तरह पत्तियों से विहीन हो जाते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है।

 

कंबल कीड़े से पौधों को नुकसान कैसे होता है?

 

कंबल कीड़ा मुख्य रूप से कोमल पत्तियों और तनों को खाकर पौधों को नुकसान पहुँचाता है। कीड़ा तनों और पत्तियों के ऊपरी हिस्से को चबा डालता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है।

अपने बगीचे से कंबल कीड़े को हटाने के 7 आसान उपाय
पोथोस पौधे की पत्तियों को कम्बल कीड़े से नुकसान

नई रोपी गई और छोटे पौधे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि वे विकास के शुरुआती चरण में होते हैं। जब पौधे पत्तियों से विहीन हो जाते हैं, तो प्रकाश संश्लेषण रुक जाता है, जिससे पौधे ऊर्जा प्राप्त करने में असमर्थ हो जाते हैं।

कंबल कीड़े का जीवनचक्र

 

इस कीड़े का जीवनचक्र मानसून के मौसम में तेजी से शुरू होता है। ये कीड़े पत्तियों के निचले हिस्से पर अंडे देते हैं, और कुछ ही दिनों में अंडों से छोटे कीड़े निकलते हैं। ये कीड़े बहुत तेजी से बढ़ते हैं और फसलों पर हमला करते हैं। जब कीड़ों की संख्या बढ़ जाती है, तो वे बड़े समूह में पौधों को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे पूरे खेत या बगीचे को भारी नुकसान हो सकता है।

कंबल कीड़े से पौधों को बचाने के उपाय

 

थोड़ी सावधानी बरतकर आप अपने पौधों और फसलों को कंबल कीड़े के नुकसान से बचा सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित आसान और प्रभावी उपाय अपनाएँ:

1. नियमित निरीक्षण करें:

blanket insect on money plant
blanket insect on money plant

अपने बगीचे या खेत का नियमित रूप से निरीक्षण करें।

  • जैसे ही पत्तियों या तनों के निचले हिस्से पर कीड़े या उनके अंडे दिखाई दें, उन्हें तुरंत हटा दें।

2. हाथ से कीड़ों को हटाएँ:

 

दस्ताने पहनकर इन कैटरपिलरों को पौधों से हाथ से हटा सकते हैं।

  • उन्हें साबुन वाले पानी की बाल्टी में डालकर मार सकते हैं।

3. प्रभावित पत्तियों की छंटाई करें:

 

blanket insect on money plant
Prune affected leaves

तुरंत प्रभावित पत्तियों को काटकर हटा दें।

  • इससे अन्य पत्तियों और पौधे के हिस्सों में संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है।

4. नीम तेल का छिड़काव करें:

 

neem oil on tomato plant

नीम का तेल एक लोकप्रिय जैविक कीटनाशक है। इसे पानी में मिलाकर प्रभावित पौधों पर छिड़कें।

  • यह कीड़े के जीवनचक्र को बाधित करता है और उन्हें भगाने में मदद करता है।
    • 1 लीटर पानी में 2 से 4 चम्मच नीम तेल का इस्तेमाल करें।

यह लेख पढ़ें:

How to use neem oil for plants

 

5. लहसुन या मिर्च स्प्रे बनाएं:

 

घर पर लहसुन या मिर्च को पानी में मिलाकर स्प्रे तैयार करें।

  • इस मिश्रण को छानकर पौधों पर छिड़कें। इसकी तीव्र गंध कंबल कीड़े और अन्य कीड़ों को दूर भगाने में मदद करती है।

6. अंडों के गुच्छे हटाएँ:

 

पत्तियों के नीचे नियमित रूप से अंडों के गुच्छों की जाँच करें और उन्हें हटा दें ताकि भविष्य में कीड़ों की संख्या न बढ़े।

7. बगीचे को साफ रखें:

 

मरे हुए पत्ते, पौधों के अवशेष और खरपतवारों को नियमित रूप से हटाएँ।

  • यह कैटरपिलरों के छिपने की जगह होती हैं, जिससे उनका प्रकोप बढ़ सकता है।

इन प्राकृतिक तरीकों से आप अपने बगीचे को कंबल कीड़े के प्रकोप से बचा सकते हैं और पौधों को बिना किसी नुकसान के सुरक्षित रख सकते हैं।


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